बास्तव में योग करने से रोग नहीं होता है , परन्तु वह सच्चा योग मन, प्राण और आत्मा को हाजिर जानकर एक तरीका से करना पड़ता है ! कभी पैर कभी हाथ हिलाकर बाययम करते है जो एक भाग है योग का पुरे योग नही ! केबल सच्चा योग (अस्टांगा योग ) बगैर पैसा का मुनि समाज ही दे सकता है ! न हम गोरा है न हम काळा है न हम आमिर है न गरीब है न हम उच्च है न नीच है , परम पिता परमेशवर जो आत्मा रूप में है वही सच्चिदानंद है ! मन प्राण और आत्मा को जानकर ही ये जाना जा सकता है! परममात्मा से जुड़ने के लिया बाहर की और भोग न करके अन्दर की और योग में आने से आपने स्वरुप को जान सकते है! जय जीव !! जगत की सभी जीव की जय हो जय हो !!
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